Wednesday, March 5, 2008

In need of a tweak ...

Just checking the transliteration thing ..

कल तक मुझको गौरव था
मैं देवताओं की हूँ संतान,
आज मगर मैं आधा जानवर
आज हूँ मैं आधा इंसान।

कल तक मेरी धड़कन धड़कन
जीवन राग सुनाती थी,
लेकिन, आज है मेरे अंग अंग में
जैसा ठंडा इक शमशान ।

आग के हैं जो नाग के ये हैं
लिपटे हुए मेरे तन से,
पैरों से और बाजू से
और सीने से और गर्दन से ।

कौन पुकारा कौन पुकारा
देखो सब कुछ बदल गया,
कोई पीछे छूट गया और
कोई आगे निकल गया ।

धरती की आंखें भीगी हैं
और अंबर भी रोता है,
दुनिया में कोई सब पाता है
और कोई सब खोता है।

झरने हों नदिया के सागर
सब हैं पानी की धारें,
लेकिन इन आंखों के आँसू
जैसे पिघले अंगारे।

चीख रही हैं सारी दिशाएं
कोई दिशा खामोश नही,
दोष नही है तेरा लेकिन
फिर भी तू निर्दोष नही।

डूब रही है दुनिया तेरी
आँसू की इस बारिश में,
लगता है मेरी दिल और आंखें
दोनों हैं इस साजिश में।

Hmmmm... Guess it works !!!
On a closer look .. It doesn't. The chhoti "EEE" ki maatra .. appears at the wrong places.
For eg: the last para has this word "बारिश" which is read as "baarshi" once it appears in hindi.

Magically, if one copies it .. and puts it in the G-talk status message window.. The "मात्रा" appears at the right place.

Guess, someone up there in the higher ranks of Blogger transliteration project is reading this.



2 comments:

Unknown said...

Dude this is gud...im wondering kaha se copy kiya hai tumne????

Shady said...

Ha Ha .. keep wondering .. !!!